तुरंत बदला जाए जीएसटी का ये नया नियम, देश के कारोबारियों ने वित्तमंत्री के सामने रखी मांग

 

तुरंत बदला जाए जीएसटी का ये नया नियम, देश के कारोबारियों ने वित्तमंत्री के सामने रखी मांग 

जीएसटी ( GST ) विभाग के पास फ़र्ज़ी बिलों ( Fake Invoice ) के द्वारा जीएसटी लेकर राजस्व को चूना लगाने वाले लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत हैं तो ऐसे लोगों को क़ानून के मुताबिक़ बहुत सख़्ती से निबटना चाहिए,
  • TV9 Hindi
  •  
  • Publish Date - 2:55 pm, Fri, 25 December 20

    • केंद्र सरकार की ओर से 22 दिसंबर को जीएसटी नियमों में धारा 86-बी को जोड़ कर प्रत्येक व्यापारी जिसका मासिक टर्नओवर 50 लाख रुपए से ज़्यादा है.  को अनिवार्य रूप से 1 प्रतिशत जीएसटी जमा कराना पड़ेगा, के प्रावधान पर कड़ा एतराज जताते हुए कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को एक पत्र भेजकर मांग की है की इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए और व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए.  कैट ने यह भी मांग की है क़ी जीएसटी एवं आयकर में ऑडिट की रिटर्न भरने की अंतिम तारीख़ 31 दिसम्बर 2020 को भी तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए . 

वित्तमंत्री  निर्मला सीतारमण को भेजे पत्र में यह भी कहा है की अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठ कर अब तक जीएसटी कर प्रणाली की सम्पूर्ण समीक्षा की जाए तथा कर प्रणाली को सरलीकृत बनाया जाए एवं साथ ही किस तरह से कर का दायर बड़ाया जाए तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व में किस तरह की वृद्धि क़ी जाए . कैट ने इस मुद्दे पर श्रीमती सीतारमण से मिलने का समय मांगा है

.ये भी पढ़ें: 

https://legallites.blogspot.com/2020/12/blog-post.html

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा है की नियम 86 बी देश भर के व्यापारियों के व्यापार पर विपरीत असर डालेगा .कोरोना के कारण व्यापार में आई अनेक प्रकार की परेशानियों से व्यापारी पहले ही त्रस्त हैं ऐसे में यह नया नियम व्यापारियों पर एक अतिरिक्त बोझ बनेगा . यह एक सर्व विदित तथ्य है की पिछले एक वर्ष से व्यापारियों का पेमेंट चक्र बुरी तरह बिगड़ गया है. लम्बे समय तक व्यापारियों द्वारा बेचे गए माल का भुगतान और जीएसटी की रक़म महीनों तक नहीं आ रही है ऐसे में एक प्रतिशत का जीएसटी नक़द जमा कराने का नियम व्यापारियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालेगा जो न्याय संगत नहीं है. .

कैट ने कहा क़ी जीएसटी विभाग के पास फ़र्ज़ी बिलों के द्वारा जीएसटी लेकर राजस्व को चूना लगाने वाले लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत हैं तो ऐसे लोगों को क़ानून के मुताबिक़ बहुत सख़्ती से निबटना चाहिए किंतु कुछ कथित लोगों को की वजह से सभी व्यापारियों को एक ही लाठी से हांकना न तो तर्क संगत है एवं न ही न्याय संगत . लिहाज़ा इस नियम को फ़िलहाल स्थगित किया जाए .

भरतिया एवं खंडेलवाल ने यह भी कहा की पिछले समय में में जीएसटी के नियमों में आए दिन मनमाने संशोधन कर व्यापारियों पर पालना को बोझ लगातार बड़ाया जा रहा है जो की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “ ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़्नेस “ के सिद्धांत के ख़िलाफ़ है . इससे जीएसटी कर प्रणाली बेहद जटिल हो गई है .

यह बड़ा सवाल है क़ी व्यापारी व्यापार करे या फिर करों सहित अन्य क़ानूनों की पालना ही करता रहे और उसका व्यापार बुरी तरह प्रभावित होता रहे. उन्होंने यह भी कहा क़ी अनेक नियमों ने द्वारा अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए जा रहे हैं जो भ्रष्टाचार को पनपाएँगे. जीएसटी का पंजीकरण रद्द करने तथा गिरफ़्तार करने के नियम बेहद कठोर हैं , जिन पर चर्चा किया जाना आवश्यक है. यह बेहद खेद जनक है की ज़ीएसटी के किसी भी मामले में व्यापारियों से कोई भी सलाह मशवरा क़तई नहीं किया जाता जिसके कारण से मनमाने नियम व्यापारियों के ऊपर लादे जा रहे हैं .

उन्होंने ज़ोर देकर कहा की एक बार जीएसटी की सम्पूर्ण कर प्रणाली कर व्यापक रूप से चर्चा होनी आवश्यक है जिससे न केवल व्यापारियों को सुविधा हो बल्कि सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हो. व्यापारी सरकार के साथ सहयोग करने को तैय्यार हैं किंतु कर प्रणाली जितनी सरल होगी और कर पालना जितनी आसान होगी , उतनी ही अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी .

Advocate & solicitor 

8851250058

Comments

Popular posts from this blog

Sections 376

Sections 340 read with Section 195 CRPC

शराब की एमआरपी पर छूट पर रोक लगाने वाले दिल्ली सरकार के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती